गुरुवार, 2 जुलाई 2009

छठी पूजन

यह महोत्‍सव जन्‍म के छठवे दिन शाम को किया जाता है, पूजन के लिए लगने वाली सामाग्री चॉंवल, खखरिया, 6 गिलास, कपडा, कलश, लोटा, बच्‍चे को पहनाने का नया कपडा, काला धागा, दिया मे सूखी बत्‍ती, फुलकांस की थाली, काजल पाडने के लिए छोटा कागज, पेन या पेंसिल, चॉंदी का सिक्‍का, धी, गुड, पनवार (भोजन के लिए) खिलौने, धर में जच्‍चा के कमरे के दिवाल पर धी का हाथ या आटापन का जच्‍चा 6 हाथा लगाती है, बीचवाले हाथे में चांदी का रूपया धी और गुड में लगाते है, सामने पाटे पर 6 गिलास चांवल रखकर ऊपर 2-2 खखरिया बताशा जोडी से रखते ऊपर से लाल ब्‍लाऊज पीस से ढकदेते हैं, अब धर में जो पनवार के लिए भोजन बनाया जाता है, 6-6 की संख्‍या में रखा जाता है, पूजन के पश्‍चात् परिवार के सदस्‍य छठी माता के ऊपर चांवल सींचते है, नंनद, देवरानी साथ में भेजना के पश्‍चात जच्‍चा-बच्‍चा दोनों को बुवा काजल पाडकर लगाती है, बच्‍चे को काला धागा पहनाती है इस पर दन्‍हे नेग दिया जाता है, छठी के दिन रात्रि तक जागरण किया जाता है, ऐसी मान्‍यता है कि ब्रम्‍हाजी बच्‍चे की तकदीर इसी दिन लिखते है, महिलाऍं सोहर तथा बधाई गाती है ।

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