सामाजिक रिशतें
-
मन में फिर फूल खिलने लगे है,
आशाओं के दीप फिर जलने लगें है ।
आसमान में पहले दिखती थी कालीमा,
अब रूपहले इन्द्र धनुष से बनने लगें है ।।
मुस्कान से भी पह...
पति के नाम का उपयोग नही........
-
माननीय न्यायमूर्ति आर.एस.दलवी, उच्च न्यायालय मुम्बई, के पारित निर्णय
दिनांक 17/02/2010 अनुसार पत्नी वैवाहिक संबंध समाप्त (पति-पत्नी के मध्य
तलाक...
मारकण्डेय मुनि को प्रसन्न करने भगवान शिव का यहॉं बाध रूप में तथा माता पार्वती का गाय रूप में अवतरण हुआ था इसलिए इस स्थल को बागेश्वर कहा जाता है । यहॉं पर 6 वीं सदी में निर्मित मंदिर को बाधनाथ मंदिर कहा जाता है । जो शिव पार्वती के बाध व गाय स्वरूप का स्वंय भू प्रमाण है यहॉं भगवान शिव बाघ व माता पार्वती गाय रूप में दक्षिणमुखी है जबकि जलहरी का मुख पूर्व दिशा की ओर है यह विशिष्टता संसार में कही नही है ।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें