श्री धुमेश्वर ज्योर्तिलिंग
12 ज्योर्तिलिंगों में यह अंतिम ज्योर्तिलिंग है । इसे धुश्मेश्वर, धृसृणेश्वर या धृष्णेश्वर कहा जाता है । यह महाराष्ट्र के दौलताबाद से बारह किलोमीटर दूर वेरूलगॉंव के पास है । उनकी परमभक्त धुश्मा ने शिवजी की कठोर तपस्या की । तब प्रसन्न होकर शिवजी ज्योर्तिलिंग के रूप में स्थापित हुए । धुश्मा के आराध्य होने के कारण वे धुश्मेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुए । धुश्मेश्वर ज्योर्तिलिंग की महिमा पुराणों में विस्तार से की गई है ।
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